चैन से सोना है तो जाग जाओ

Posted by Praveen राठी in , , ,

ज़ी न्यूज़ पर प्रसारित एक कार्यक्रम की टैग लाइन है ये.

क्या आपको कुछ साल पहले दूरदर्शन के किसी भी न्यूज़ रीडर की शक्ल याद है? शायद नहीं, लेकिन इतना ज़रूर याद होगा कि समाचार बोलते वक्त उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं होते थे. आज देखिये, खबरों में कितने भाव, कितना मसाला, कितना ग्लामौर आ गया है.

ये भारतीय मीडिया को हो क्या गया है? हिन्दी समाचार चैनल तो सारी हदें पार कर चुके हैं. कुछ दिन पहले वैभव ने कुछ ब्रेकिंग न्यूज़ पेश की थी. पढ़ कर बहुत हँसा था. आज एक और ब्रेकिंग न्यूज़ मिली है. ज़रा गौर फरमाएं:









ये तो महज़ एक नमूना है. आप प्रतिदिन अपने इन समाचार चैनलों पर सास-बहु सीरियल भी देख सकते हैं.कितनी मेहनत करते होंगे हमारे हिन्दी न्यूज़ चैनल वाले इस तरह खबरें इकठ्ठा करने में. हैरत तो इस बात की है कि इतनी बड़ी दुनिया है, जहाँ हर समय कुछ न कुछ घटता रहता है, कुछ ऐसा जिसकी ओर जनता का ध्यान खींचना आवश्यक है, उन सब में से ये मिलता है दर्शकों के लिए.
जो कुछ मुद्दे हिन्दी समाचार चैनलों पर छाये रहते हैं, वो हैं:
>> खली (धोखे का शिकार बेचारा खली)
>> राखी सावंत (ने अपने बॉयफ्रेंड को थप्पड़ मारा)
>> लाफ्टर शो (मेज पर हाथ मार मार कर उसे तोड़ते नवजोत सिद्धू)
>> फिल्मी सितारों के अफेयर (यहाँ तक कि जानवरों के भी)
>> ... और न जाने ऐसे कितने हैं (लिखते लिखते रात हो जायेगी)
स्टार न्यूज़, आज तक, ज़ी न्यूज़, इंडिया टीवी - सभी एक ही थाली के चट्टे बट्टे.
बचा "NDTV इंडिया", इन बेचारों को शायद ऐसी ब्रेकिंग न्यूज़ नहीं मिल रही हैं. शायद इनके रिपोर्टर लोग बड़े नाकारा हैं और ठीक से काम नहीं करते. और शायद ऐसे काबिल रिपोर्टरों की कमी की वजह से ही इस गरीब चैनल को कोई पुरस्कार, अवार्ड इत्यादि नहीं मिलते.
वैसे मैंने कुछ नया तो नहीं लिखा है, लेकिन आज की इस ख़बर को पढ़ कर मुझे लगा कि इतनी ख़ास ख़बर को यहाँ जगह देनी चाहिए.

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5 Comments

Aapki baat sahi hai. Aaj samachar ko bhi majaak bana diya hai.

July 16, 2008 at 10:36 AM

आप सही फरमाते हैं। समाचार न हुए मजाक हो गये।

July 16, 2008 at 10:37 AM

क्या ब्रेकिंग न्यूज़ पकड़ी है यार
अच्छी है
मेरा ब्लॉग भी देखे

July 16, 2008 at 5:12 PM

बिल्कुल जी. मजाक बना कर रख दिया है इन लोगों ने.

July 17, 2008 at 1:16 AM

सरकार , मैने तो हिन्दी समाचार देखने ही बंद कर दिए हैं | समाचारों के नाम पर कुछ भी दिखाते हैं और भारत की जनता देखती है , यह इस देश का दुर्भाग्य है की यहाँ लोगों के पास खाली समय होने के बाद भी लोग उसे ज़ाया कर रहें हैं |

पर सब पैसे की माया है , अब चौबीस घंटे के समाचार चॅनेल खोल दिए हैं तू उन्हे भरना भी तो है , और भारत जैसे विशाल देश मे समाचारो की कमी नहीं है |

July 17, 2008 at 7:37 AM

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