जीवन में सादगी

Posted by Praveen राठी in , , , , , , ,

कल बैठे बैठे यूं ही पापा से बातचीत करते हुए ये बात छिड़ गयी।
कहने लगे, "हमारे परिवार का रहन सहन कितना ज्यादा simple है? परिवार ३ जगह फैला हुआ है, पर एक भी जगह एक टीवी तक नहीं है, बड़ी कार की बात तो दूर, कोई स्कूटर/मोटरसाईकिल भी नहीं है। वाहन के नाम पर सिर्फ एक साइकिल है रोहतक में, जो भाई साहब को करीब ४५ साल पहले दहेज़ में मिली थी। घर में कोई कूलर/एसी नहीं है (पंखे से काम चल ही जाता है), कोई किसी तरह का कोई आभूषण नहीं पहनता - ना कोई अंगूठी, ना कंगन, ना गले की चेन, यहाँ तक कि कोई घडी भी नहीं बांधता। किसी भी प्रकार का "junk food" खाने कि आदत नहीं है किसी को, कम से कम मसालों से बना भोजन।
कारण ये नहीं कि ये सब खरीदने के लिए पैसा नहीं है, या हैसियत नहीं है, पर बस यूं ही, किसी को शायद लगा ही नहीं कि इन सब के बिना ज़िन्दगी अधूरी है।"

वो बोल रहे थे, और मैं सिर्फ़ सुन रहा था। बीच बीच में "हूँ...हाँ... हम्म" से अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा था।
बात पते की थी। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं जिस माहौल में पला बढा हूँ, मेरे पास ये सब संसाधन शरू से ही नहीं हैं। पर सोचने कि बात ये है कि मुझे कभी इन सब का अभाव भी महसूस नहीं हुआ, और ना ही अब इन सबकी ज़रुरत महसूस होती है। शायद मैंने इन सबके बिना ही जीना सीख लिया है, और मैं खुद से खुश हूँ। अब तो आदत हो गयी है, या यूं कहें कि खुद को समझा लिया है।
वैसे वो साइकिल (४५ साल पुरानी - "Eastern Star" कंपनी की) अब भी दुरुस्त दौड़ती है और घर के लगभग सभी रसोई के बर्तनों की उम्र मुझसे ज्यादा है।

सोच रहा हूँ कि क्यों / कैसे हर वस्तु इतनी लम्बी चल जाती है हमारे घर में (शायद दुसरे घरों में भी चलती हो, कभी पूछा नहीं)? शायद हमें अपनी चीज़ों को सहेज कर रखने कि आदत है।
घर में कोई भगवान् में यकीन नहीं करता, पर फिर भी कहूँगा कि ईश्वर कि कृपा से सब अच्छा चल रहा है।

महात्मा गाँधी न कहते थे, "सादा जीवन और उच्च विचार ही स्वस्थ जीवन की कुंजी हैं।"
बाकी का तो पता नहीं पर जाने-अनजाने गाँधीजी की ये बात तो हम follow करते ही हैं और गर्व है मुझे अपने इस रहन सहन पर।

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4 Comments

ye to mast rangeela ke munna(amir khan) ke gane ki yaad dilata hai..
Yarrooonn. sun lo zara haan apan ye kehna.. jeena ho to Praveen ke jaise hi jina.
gadi bangla nahin na sashi na sahi, tv video nahin na sahi na sahi...
ha ha ha

July 28, 2009 at 9:08 AM

the first thing which striked me when I went to your home in Rohtak was the simplicity of home. It really was pleasing to eyes.

July 28, 2009 at 11:28 AM

@Debi - गाने तो इस "situation" के लिए बहुत मिल जायेंगे, लेकिन जीना इसी का नाम है :)

@Priyanshu - Thank You!

July 29, 2009 at 4:51 PM

सही कहा आपने, सादगी का कोई जवाब नहीं।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

July 29, 2009 at 5:08 PM

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