बहुत दिनों से सोच रहा था कि अपने भज्जी ने श्रीसंथ को थप्पड़ रसीद कर जिस नई संस्कृति का आगाज़ किया है, उसका क्या प्रभाव पड़ सकता है। मेरे ख़याल से अगर कांग्रेस अपने चुनाव चिह्न को "हाथ" कि बजाय "थप्पड़" का नाम दे दे तो शायद जनता से ज़्यादा वोट प्राप्त कर सकती है।
"थप्पड़ मारना" और "थप्पड़ खाना" भी एक कला है। कभी-कभी थप्पड़ मारने से ज़्यादा थप्पड़ खाने वाले खुश हो जाते हैं। प्रेमिका के हाथ से थप्पड़ खाकर भी कई बार आशिक मियां ख़ुद को धन्य समझते हैं। जब तक सूरज-चाँद, धरती-आकाश रहेंगे, ये थप्पड़ संस्कृति भी कायम रहेगी। थप्पड़ के कई प्रकार होते हैं: सिर्फ़ तमाचा ही थप्पड़ नहीं होता, किसी को दो टूक जवाब देना, आर्थिक नुकसान पहुँचाना या किसी को उसकी औकात दिखाना भी थप्पड़ मारने के समतुल्य है। ऐसा भी नहीं है की थप्पड़ मरना सिर्फ़ पुरुषों का ही जन्मसिद्ध अधिकार है, कभी कभी महिलाएं भी हाथ साफ कर लेती हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन पर ऐसी मेहरबानियाँ रोज़ होती हैं। हमारे इतिहास में 'चीरहरण', 'सीताहरण' के किस्से तो हैं पर 'थप्पड़ नामा' कहीं नहीं मिलता। लेकिन ये इतिहास हरभजन ने गढ़ दिया। ऐसा थप्पड़ मारा की उसकी गूँज पूरी दुनिया में सुनाई दी। हरभजन को यह थप्पड़ फिलहाल ३ करोड़ का पड़ा है लेकिन इससे ज़्यादा महंगा भी हो सकता है।
बचपन में हमने भी कई थप्पड़ खाए पर उसकी गूँज इतनी कभी नहीं हुई। हमारे मास्टर साब तो थप्पड़ मारने में कतई परहेज नहीं करते थे। बल्कि मौका ढूंढते रहते थे। कहते थे कि अगर उँगलियों के निशान चौक्टे पे दिखाई न दें तब तक थप्पड़ फीका है। लेकिन आज कल मामला कुछ अलग है: 'सर' अपने 'स्टूडेंट' को थप्पड़ मारने का ज़रा भी रिस्क नहीं लेते। शायद उन्हें न्यूटन के तीसरे नियम की समझ आ गई है। क्योंकि हर क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया होती है। अब 'थप्पड़ क्वीन' एकता कपूर की बात करें तो उसके 'K' ब्रांड के हर सीरियल में हर दूसरे फ्रेम में थप्पड़ होता है। थप्पड़ की आवाज़ से ज़्यादा बैक ग्राउंड मूसिक होता है। ऐसा लगता है की थप्पड़ के बाद एक 'ज़लज़ला' आया है जिसका 'रिक्टर' पैमाने पर माप लिया जा सकता है। 'IPL' में कैमरों की चकाचौंध के आगे खेलते हुए भज्जी शायद रील और रीयल का अन्तर भूल गए. वीडियो फुटेज बताते हैं कि श्रीसंत भी थप्पड़ मरना चाहते थे। यदि उन्हें नहीं रोका जाता तो भद्रजनों के इस खेल में ऐक और रेकॉर्ड बन जाता।
"थप्पड़ मारना" और "थप्पड़ खाना" भी एक कला है। कभी-कभी थप्पड़ मारने से ज़्यादा थप्पड़ खाने वाले खुश हो जाते हैं। प्रेमिका के हाथ से थप्पड़ खाकर भी कई बार आशिक मियां ख़ुद को धन्य समझते हैं। जब तक सूरज-चाँद, धरती-आकाश रहेंगे, ये थप्पड़ संस्कृति भी कायम रहेगी। थप्पड़ के कई प्रकार होते हैं: सिर्फ़ तमाचा ही थप्पड़ नहीं होता, किसी को दो टूक जवाब देना, आर्थिक नुकसान पहुँचाना या किसी को उसकी औकात दिखाना भी थप्पड़ मारने के समतुल्य है। ऐसा भी नहीं है की थप्पड़ मरना सिर्फ़ पुरुषों का ही जन्मसिद्ध अधिकार है, कभी कभी महिलाएं भी हाथ साफ कर लेती हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन पर ऐसी मेहरबानियाँ रोज़ होती हैं। हमारे इतिहास में 'चीरहरण', 'सीताहरण' के किस्से तो हैं पर 'थप्पड़ नामा' कहीं नहीं मिलता। लेकिन ये इतिहास हरभजन ने गढ़ दिया। ऐसा थप्पड़ मारा की उसकी गूँज पूरी दुनिया में सुनाई दी। हरभजन को यह थप्पड़ फिलहाल ३ करोड़ का पड़ा है लेकिन इससे ज़्यादा महंगा भी हो सकता है।
बचपन में हमने भी कई थप्पड़ खाए पर उसकी गूँज इतनी कभी नहीं हुई। हमारे मास्टर साब तो थप्पड़ मारने में कतई परहेज नहीं करते थे। बल्कि मौका ढूंढते रहते थे। कहते थे कि अगर उँगलियों के निशान चौक्टे पे दिखाई न दें तब तक थप्पड़ फीका है। लेकिन आज कल मामला कुछ अलग है: 'सर' अपने 'स्टूडेंट' को थप्पड़ मारने का ज़रा भी रिस्क नहीं लेते। शायद उन्हें न्यूटन के तीसरे नियम की समझ आ गई है। क्योंकि हर क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया होती है। अब 'थप्पड़ क्वीन' एकता कपूर की बात करें तो उसके 'K' ब्रांड के हर सीरियल में हर दूसरे फ्रेम में थप्पड़ होता है। थप्पड़ की आवाज़ से ज़्यादा बैक ग्राउंड मूसिक होता है। ऐसा लगता है की थप्पड़ के बाद एक 'ज़लज़ला' आया है जिसका 'रिक्टर' पैमाने पर माप लिया जा सकता है। 'IPL' में कैमरों की चकाचौंध के आगे खेलते हुए भज्जी शायद रील और रीयल का अन्तर भूल गए. वीडियो फुटेज बताते हैं कि श्रीसंत भी थप्पड़ मरना चाहते थे। यदि उन्हें नहीं रोका जाता तो भद्रजनों के इस खेल में ऐक और रेकॉर्ड बन जाता।
अब थप्पड़ कि बात चली तो मुझे एक चुटकुला याद आया:
एक पुलिस वाला एक चोर का पीछा करते हुए उसे पकड़ लेता है। चोर हाथ में आते ही पुलिस वाले के चेहरे पे ज़ोर का थप्पड़ मरता है और छुडा कर भाग जाता है। निराश पुलिस वाला वापिस थाने चला जाता है। उसे देख कर इंसपेक्टर साहब पूछते हैं - क्या हुआ चोर को पकड़ लिया? जवाब (गर्व से) - "चोर तो भाग गया, (गाल आगे करते हुए) लेकिन मैंने उसके उँगलियों के निशान ले लिए। "
हा हा हा ...
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on Wednesday, May 21, 2008
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